My sketchings

गजल

खौफ के मंजर 



रात की ख़ामोशी देती इस बात की गवाही है
शहर में आने वाली फिर कोई नई तबाही है

 सहमा-सा है हर मंज़र सनसनी-सी है फैली हुई
सुनसान रास्तों पे खड़ा कोई आतंक का राही है

यह सीमा पार के हमले हैं या अपनों की साज़िश
सारी रात कश्मीर ने इसी सोच में बिताई है

ज़ंग-ए-मैदान में पल-पल छलनी हो रहे सीने
मौत के सामानों ने ये कैसी होड़ मचाई है

‘एकता' अब तुमको भी हथियार उठाने होंगे
अब फ़ीकी पड़ने लगी तुम्हारी कलम की स्याही है!

          -एकता नाहर
   
           I am dedicating this poem to all my brother & sister of Kashmir.
           Jai hind

शायरी

न मिली  कलम तो हिम्मत ही सही,
पर तीर और तलवार की हमें जरुरत नहीं!
हौसले जो ज़िगर में हरदम बरक़रार हैं,
उनको मिटाने की किसी में ज़ुर्रत नहीं!
 -एकता नाहर
    

Who is he???

Who is he???

Who is he???
............
He is not any part of my life.
He is not any end or start of my life.
He is the heart of my life....
I m infinite...no one can reach till my end...
but...
I am zero in front of him.
.............

whenever I get angry,he makes me feel relax.
whenever I get confused,he gives me thousand solutions.
Whenever I lose in my life,he holds my hand & makes me feel that I m a winner.
.............
He is my sweater in my winter.
He is my cool wind in my summer.
He is my umbrella in my rain.
.............
He loves me as my mother.
He cares me as my brother.
He shares me as my sister.
He helps me as my friend.
Whole relationship of world I have found in his one relation that is so special to me.
....................
His voice is sweeter than voile n.
His tears are more real than pearl.
His eyes are more shiner than diamond.
His thinking is more deep than sea.
&
His heart is more true than God.
..................
Every red rose of world is my gift for him.
Every lovely song of world is my feeling for him.
Every joy & happiness of world is my prayer for him.
Every true word of world is my promise for him.

now nothing to say except this....
that I love him.
I am dedicated to him.


- Ekta Nahar

एक बार तो उस शख्स को आजमाना चाहिए था

         गजल 
तन्हा नहीं कटते ज़िन्दगी के रास्ते,
हमसफ़र किसी को तो बनाना चाहिए था !!
शब् के अँधेरे गहरे थे बहुत,
मेरे लिए रौशनी किसी को तो जलाना चाहिए था !!
रोते हुए दिल की बात वो समझ ना सके,
शायद आँखों को भी आँसू  गिराना चाहिए था !!
यूँ ही ऐतवार कर बेठे एक अजनबी पर हम,
एक बार तो उस शख्स को आजमाना चाहिए था !!
   
    -  एकता नाहर 

दुआ..

               दुआ..

                उठे हैं जो हाँथ आज दुआओं में तो मत रोको,
                बिखरी हूँ मैं मुझे...पनाहों की जरुरत है....
                ईश्वर की गोद तो सूनी है मुझे सुलाने के लिए,
                मेरे ही समर्पण और दुआओं की जरुरत है !!
 हे ईश्वर,
     मैं सच्चे और पवित्र मन से आपकी आभारी हूँ कि आपने मुझे दुनिया में रहने लायक बेहतर जगह प्रदान की! मुझे इस काबिल बनाया कि मैं अन्याय से लड़ सकूँ! मुझे इतना शक्तिशाली बनाया की में हर परिस्थिति में खुद को सम्हाल सकूँ, हर गलत काम का विरोध कर सकूँ!
             दुनिया में छल, कपट, बेईमानी, धोखा, कायरता, स्वार्थ होने के बाबजूद मुझे प्यार, अहिंसा,न्याय, सच्चाई और अच्छाई जैसी शक्तियाँ प्रदान की! मुझे प्राणिमात्र से आत्मीयता का भाव रखना सिखाया! मुझे हर पल मुस्कुराना और हर दिन जीना सिखाया! मुझे इस लायक बनाया कि मैं अपनी हर जरुरत पूरी कर सकूँ! मेरे अन्दर इतना प्यार दिया कि कभी मुझे प्यार की कमी महसूस न हो! मुझे फैसले लेना सिखाया उन फैसलों पर आगे बढ़ना सिखाया!
           मुझे सपने देखने की ताकत दी और उन सपनों को पूरा करना सिखाया! प्रकृति को इतना खूबसूरत बनाया की मुझे इसके हर रूप, हर रंग से प्यार हो गया! मुझे कुदरत से बातें करने,जुड़ने और समझने का मौका दिया! मुझे मुझसे जुड़ने और मुझे समझने का हौसला दिया!मुझे दर्द झेलने की शक्ति दी! और हर पल से अनुभव लेना सिखाया!            
 मेरी आपसे यही प्रार्थना है की मेरे मन को हमेशा पाक रखना! मेरे अन्दर की पवित्रता और मासूमियत को हमेशा जिन्दा रखना!मेरी हर सोच को सही दिशा प्रदान करना! मुझे सारी बुराइयों से दूर नहीं बल्कि उनसे लड़ने की शक्ति प्रदान करना!
         मेरी नजरों को इतना दूरदर्शी और तेज बनाना कि मैं सारे गलत रास्तों को छोड़कर सही रास्ता चुन सकूँ! मुझे इतनी शक्ति देना कि जब मैं गलत करूँ तो खुद को बदल सकूँ और जब दुनिया गलत करे तो दुनिया को बदल सकूँ! आपने सही फैसले लेने की जो ताकत मुझे दी है, मैं उस पर अडिग रह सकूँ! मैं अपने नाम,अपनी पहचान को कायम रख सकूँ! मैं कुदरत से और भी ज्यादा गहराई से जुड़ सकूँ!
         मुझे इतना साहस देना कि मैं आपकी दी हुई शक्तियों का सही दिशा में असीमित प्रयोग कर सकूँ!मैं इस ख़ूबसूरत और खुशनुमा जिन्दगी के लिए आपकी शुक्रगुजार हूँ! दुनिया में रहने वाले हर प्राणी पर आपकी ऐसी ही कृपा होगी, इसी दुआ के साथ मैं अपनी भावनाओ को आपको समर्पित करती हूँ!!


       एकता नाहर 

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...