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मुद्दा मंदिर-मस्जिद का या मानवता का !!!

मुद्दा मंदिर-मस्जिद का या मानवता का !!

क्यों न अफ़सोस करूँ मै, अपने देश के हालात पर !!
यहाँ तो चलती हैं तलवारें, धर्म और जात पर !!


२४ सितम्बर को आने वाला संगीन फैसला तो टल गया, पर इस वजह से राहत की सांस लेने वाले कुछेक ही होंगे! मुझे यहाँ किसी मामले को स्पष्ट करने की जरुरत नहीं लगती, क्योंकि अयोध्या में चल रहे राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के मामले से तो हर भारतीय वाकिफ है! फिर चाहे वह वे लोग हों, जिन्हें भविष्य में अपनी राजनीतिक यात्रा इसी फैसले पर करनी हो, या फिर वे लोग जिन्होंने ९२ में इस विवाद की आग में अपने परिवार को जलते हुए देखा हो, या फिर वे लोग जिनका देश में हो रहे इस अनौपचारिक और अनैतिक विवाद के प्रतिरोध में सिर्फ इतना ही योगदान हे की वे रेडियो और न्यूज़ चैनल पर हिंसा में भड़क रही इस आँच को चर्चा का विषय बनाते हो, तो कई ऐसे लोग भी हैं, जो मामले का मुद्दा भी नहीं जानते.... पर फैसले का इन्तजार सबको है और क्यों न हो आखिर इस फैसले पर ही तो टिका है भविष्य कुछ नेताओ का तो कुछ लाचारों का!!


                  मै यहाँ इस फैसले पर टिप्पड़ी नहीं करना चाहती, में तो बात कर रही हूँ उस भय और आतंक की जिसने लाखो दिलों को धड़का रखा है! अदालती फैसला चाहे जो भी हो,देश में तनाव और अशांति का वातावरण पैदा हो ही जाता है! लोग कर्फ्यू के नाम पर अपने घरों से निकलने में कतराते हैं! ऐसे हालातों में लोगों के दिलों में खौफ अपनी जडें मजबूत कर लेता है! फैसले का दिन आया और टल गया पर आजाद भारत से आजादी के कुछ दिन समेट ले गया और बदले में दे गया तनाव, दर और सनसनी खबरें! डरे और सहमे लोग टीवी पर से अपनी नजरें नहीं हटाना चाहते, फिर चाहे मीडिया मिर्च-मसालों के साथ दिल दहला देने वाले चित्र ही क्यों न प्रस्तुत करे! धर्मनिरपेक्ष कहे जाने वाले इस देश में उन्ही धर्मो को विवाद का मसला बनाया जा रहा है!

                दंगो का कहर भले ही सारे देश पर हो, पर खामियाजा भुगतना पड़ता है निम्न और मध्यम वर्ग के हिन्दू-मुस्लिम समाज को.......घर जलते हैं उन लोगो के जो मंदिर और मस्जिद नही, सिर्फ अपने ही देश में जगह चाहते हैं और बर्बादी और तबाही में आबादी का जश्न मनाते हैं तो, राजनीति की आड़ में मानवीयता से खिलवाड़ करने वाले कुछ सामाजिक कार्यकर्ता! और सबसे बड़ा अफ़सोस तो यह है कि समाज और धर्म के नाम पर कुछ लोग जैसे चाहे वैसे देश को मोड़ रहे हैं और युवा वर्ग अपने घरों मै छिपकर बैठा है! क्योंकि २० सालों में जो परिवर्तन आया वह आज की युवा पीढ़ी में और जब युवा वर्ग ऐसे मामलों पर भी चुप्पी साधे हुए है, तो देश में ऐसी अमानवीय घटनाएं होना स्वाभाविक है! सवाल यह नहीं है कि यह देश क्यों ऐसे दुराचारियों के हाथों में है? सवाल तो यह है कि यह देश हम नौजवानों के हाथों में क्यों नहीं है? क्या हम नौजवान देश का सिर्फ भविष्य हैं,वर्तमान नहीं...जो खुद के बुढ़ापे के साथ देश के बुढ़ापे का इन्तजार कर रहे हैं? और ये भ्र्स्ताचारी देश की रीढ़ की हड्डी बने हुए हैं!

           क्या कहूँ मै देश के इन शर्मनाक हालातों पर?????????
   इस देश के बारे में ना तो ये दिल सुनना चाहता है और ना ही देश की जनता! १९९२ मै जो हुआ वो असहनीय था, पर आज तो जागरूक होने का अवसर हमारे पास है! कब तक कुछ नारकीय दुष्ट...धर्म,समाज और राजनीति के नाम पर देश मै हिंसा,घ्रणा और असंवेदना फैलाते रहेंगे?....और कब तक हम युवा ऐसी ऐतिहासिक अनहोनी के इन्तजार मै अपने घरों मै छिपकर बैठे रहेंगे???

                 मेरी आवाज,मेरा आह्वान समर्पित है, देश के उन सभी लोगों को जिनके दिलों मै देशप्रेम की न सही मानवता कि भावना तो बरकरार है! जब इन हैवानो की बाजुओं में इतनी ताकत कि वे अपनी तलवार से समाज,कानून और देश की परवाह किये बिना संहार और विनाश का खेल रचते हैं, तो क्या हमारे जिगर में इतनी भी हिम्मत नहीं कि हम आह्वान से जागरूकता और परिवर्तन की और चलें? हमारे हौसले इतने कमजोर नहीं हैं कि तलवारों की तेज धारों से चकनाचूर हो जायें!

               जागो !!! युवाओं जागो ....सांप्रदायिक हिंसा का हिस्सा मत बनो!!! मेरे देश को तुम्हारे नेक इरादों,जोश और जूनून की जरुरत है!!

जागरूक युवा  जागरूक समाज  और जागरूक हिंदुस्तान !!
मेरा देश है मेरा गुरुर,  कोई धर्म नहीं मेरी पहचान !!

-एकता नाहर 

12 Response to "मुद्दा मंदिर-मस्जिद का या मानवता का !!!"

  1. Md Jafar khan says:
    September 24, 2010 at 11:33 AM

    u r right,,,there is need to do smthing for india's bright future ,,,,your every word is touch my soul ,,now i want to really do somthing...u r really great writer who knows which word make evolution in youth...i thing i have a frnd who will rise as new hope of india.....

  2. anupmishra says:
    September 24, 2010 at 12:13 PM

    really nice thoughte....India needs a writer like you.Your thoughts are really revolutionary and they need to be empowered by our comments. All the best for your future.

  3. Unknown says:
    September 24, 2010 at 12:14 PM

    apke jaisi bhavnaye sari janta k dil me ajaye to kisi faisle ka yu darr na hota.
    well ekta u wrote really well.im spellbound dear.keep going im wid u.grt work.

  4. Alok says:
    September 24, 2010 at 12:51 PM

    Nice thought,the world want this mentality

  5. Prakash Borse says:
    September 24, 2010 at 8:06 PM

    प्रिय एकता नाहर जी,
    बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति है आपकी यह रचना ।
    आपने यह लिख कर कि इतना तय है कि देश में आज धर्म के नाम पर और इस तरह के प्रपंच के नाम पर जो कुछ भी हो रहा है यदि उसे इसी तरह से चलते रहने दिया जाए, तो फ़िर आने वाले समय में भारत के बीच इस्राइली और फिलिस्तीनी भी देखने को मिल ही जाएंगे । मेरे शब्दों को समझने का प्रयास न करियेगा |
    अच्‍छे लेख के लिए बधाई ।
    आपका परिचित-
    ## प्रकाश बोरसे

  6. Amrit jain says:
    September 24, 2010 at 8:58 PM

    nice thoughts
    india require writers like you
    keep it up
    all the best

  7. Unknown says:
    September 24, 2010 at 9:19 PM

    i thing u r good writer who really create hopes to all peaple of india

  8. Unknown says:
    September 24, 2010 at 9:25 PM
    This comment has been removed by the author.
  9. Manish Rajlani says:
    September 25, 2010 at 5:46 AM

    gud going......keep it uppppp....

  10. Anonymous Says:
    September 25, 2010 at 10:27 AM

    really heart touching... great keep it up.....

  11. Anonymous Says:
    September 25, 2010 at 11:14 AM

    its nice,chalo even u things,alkal ke engineers to sochte bi nai ye sb,they just thinks for their life

  12. sumi Says:
    October 1, 2010 at 12:32 PM

    vry nice.....i appreciate ur thoughts....its vry touching....i wish sab aisa soch skte....

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