चाटुकारिता - सफलता का नया मूलमंत्र
(व्यंग्य)
समाज में कैसे बदलाव आयेगा यह कह पाना तो मुश्किल है पर सच तो यह है कि सफलता जितनी महत्वपूर्ण है उतनी ही महत्वपूर्ण यह बात भी कि वह कैसे और कहाँ से मिलती है ! चाटुकारिता से सफलता के वृक्ष में डालियाँ तो आ सकती हैं पर ये डालिया लम्बे समय तक वृक्ष को हरा भरा नहीं रख सकती क्योकि सफलता का मूल को तो परिश्रम और हुनर से ही सींचा जा सकता है !
-एकता नाहर
-एकता नाहर
चाटुकारिता विभिन्न गुणों से समाहित सफलता का खरा मूलमंत्र है ! ऐसा नहीं है कि आपको इसके लिए परिश्रम नहीं करना पड़ता ! आपको अपने लक्ष्य निर्धारित करने पड़ते हैं, अपने से उच्च अधिकारियों के इर्द-गिर्द घूमना पड़ता है , उन्हें अपने जिम्मेदार,परिपक्व और कुशल होने की अनुभूति करानी होती है! साथ ही उन्हें सम्मान के सर्वोच्च सिंहासन पर आसीन कराना होता है ! यह सारी क्रियाएं जितनी रफ़्तार से होती हैं उसी के अनुरूप सफलता भी अपनी प्रतिक्रियाएं देती है ! हाँ, चाटुकारिता के इस सिध्दांत में नियमो कि कोई व्याख्या नहीं होती ! इसे सब अपने-अपने अनुसार इस्तेमाल करते हैं!चाटुकारिता और सफलता एक दुसरे के समानुपाती चलते हैं...यह बिलकुल भौतिकी के सिध्दांत की तरह कार्य करता है!
सफलता के व्यवसाय में जितनी चाटुकारिता रुपी पूँजी निवेश करेंगे उतनी ही सफलता मिलेगी! पर सफलता कभी पर्याप्त नहीं होती..इसीलिए चाटुकारिता भी कभी कभी अपने असीम छोर को छू लेती है ! चाटुकारों का मानना है कि यह कोई घाटे का सौदा नहीं है! हाँ जब कभी इस व्यवसाय के तराजू में असंतुलन हो जाता है!अधिकतम चाटुकारिता निवेश करने पर भी सफलता के परिणाम सामने नही आते !पर समयानुसार ये उतार चदाव भी स्थिर हो जाते हैं !सबसे अच्छी बात तो यह है कि इसे सीखने में समय भी खर्च नहीं करना पड़ता !सभी अपने अपने स्तर पर सफलता के रूप को चाटुकारिता के रंग से निखारने में लगे रहते हैं ! आलम यह है कि छोटे-छोटे देश भी अमेरिका जैसे बड़े देशो कि चापलूसी में लगे रहते हैं !
चाटुकारों में आत्मविश्वास का कतई अभाव नहीं होता! वे अपने से उच्च अधिकारियों को प्रभावित करने के हर हथकंडे अपनाते हैं ! दिलचस्प बात तो ये है कि वे व्यक्ति को चरित्र के अनुसार नहीं बल्कि उनके पद के अनुसार उनके सम्मान का स्तर निर्धारित करते हैं ! वे खुद को एक अच्छे और सच्चे सहयोगी साबित करने में माहिर होते हैं ! वे इस बात को भलीभाँति समझते हैं कि अपने से उच्च अधिकारियों से व्यवहार बनाकर ही मनोवांछित कार्य किये जा सकते हैं और भविष्य को लाभान्वित किया जा सकता है ! वे समय की जरूरतों के मुताबिक अपनी कार्यशैली में परिवर्तन भी करते रहते हैं ! वे उदासीन और अंतर्मुखी कदाचित नही होते ! वे यह समझने में बड़े ही बुध्दिजीवी होते हैं कि उनकी सफलता का निर्णय किसके हाथ में है ! जब उन्हें एक पक्ष से संतुष्टि नहीं होती तब वे किसी दुसरे पक्ष को तलाश करते हैं !
मजे की बात तो यह है कि सफलता के धंधे में इतनी चाटुकारिता निवेश करने के बाद भी कोई अपने आप पर ' चाटुकार ' का लेवल नहीं लगवाना चाहता ! वे इस धंधे में अपना नाम हमेशा गुप्त रखने की कोशिश करते हैं ! वे चाटुकारिता की नीति के तहत गुप्त रूप से ही सफलता के पक्ष में अपनी याचिका लगाते हैं !
आधुनिक युग में चाटुकारिता चुम्बक की तरह सफलता को निरंतर अपनी और आकर्षित कर रही है ! वर्तमान हालातों की समीक्षा करें तो चाटुकार अल्पसंख्यक नहीं हैं ! यह व्यवसाय राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है! यह राजनीति की तकनीक ही है जिसका इस्तेमाल लोग उपलब्धियां हासिल करने में करते हैं ! वर्तमान में ' परिश्रम ही सफलता की कुंजी है ' का स्थानान्तरण ' चाटुकारिता ही सफलता की कुंजी है ' से होता जा रहा है !हर तरफ लोग मेहनत, लगन और ईमानदारी से काम करने की बजाय चाटुकारिता को निचोड़ कर सफलता का रस चखना चाहते हैं ! समाज में कैसे बदलाव आयेगा यह कह पाना तो मुश्किल है पर सच तो यह है कि सफलता जितनी महत्वपूर्ण है उतनी ही महत्वपूर्ण यह बात भी कि वह कैसे और कहाँ से मिलती है ! चाटुकारिता से सफलता के वृक्ष में डालियाँ तो आ सकती हैं पर ये डालिया लम्बे समय तक वृक्ष को हरा भरा नहीं रख सकती क्योकि सफलता का मूल को तो परिश्रम और हुनर से ही सींचा जा सकता है !
-एकता नाहर
November 22, 2010 at 6:02 AM
aapne vyang ke theekhe sabdo ko sunderta se piroya hai ,,,is adbhud klaa ke lia aap ka naman,,,best wishes ,,,aapka lekh bhut sateek or accha hai
November 23, 2010 at 6:19 AM
अच्छा सबक
November 23, 2010 at 7:00 AM
आप का लेख बहुत सटीक है|
November 23, 2010 at 10:07 AM
शुक्रिया।
November 23, 2010 at 11:01 AM
बहुत अच्छा लिखा है आपने, वैसे चाटुकारिता भी एक कला है, हर कोई नहीं कर सकता |
आप ब्लोगिंग के क्षेत्र में नए हैं तो आपको कुछ परेशानियों का सामना करना पद सकता है, ब्लोगिंग से सम्बंधित किसी भी परेशानी को आप हमारे फोरम पर पोस्ट कीजिये आपके हर सवाल का जबाब दिया जायेगा|
ब्लोगर फोरम
November 23, 2010 at 11:00 PM
nice effort. you can do better
November 24, 2010 at 12:04 AM
बहुत सटीक .. बहुत तीखा ..... ऊर्जावान और विचारोतेजक लेख है .... बहुत खूब
यहाँ पर भी पधारे और कमेन्ट दे http://unbeatableajay.blogspot.com/
November 24, 2010 at 8:52 AM
ब्लागजगत पर आपका स्वागत है ।
mul mantra aacchha hai.
November 24, 2010 at 11:35 PM
आपकी इस सार्थक प्रस्तुति की जितनी तारीफ़ की जाए कम है, जितना लिखा जाए कम है. वाह!
शुक्रिया. जारी रहें.
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कुछ ग़मों के दीये
November 26, 2010 at 10:15 PM
Achchha lagaa vyangya.
March 22, 2011 at 6:26 AM
" भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की तरफ से आप, आपके परिवार तथा इष्टमित्रो को होली की हार्दिक शुभकामना. यह मंच आपका स्वागत करता है, आप अवश्य पधारें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . आपकी प्रतीक्षा में ....
भारतीय ब्लॉग लेखक मंच
April 11, 2011 at 2:04 AM
i like bust think .