My sketchings

मैं नारी हूँ

मैं नारी हूँ

मैं साकार कल्पना हूँ
मैं जीवंत प्रतिमा हूँ
मैं अखंड अविनाशी शक्तिस्वरूपा हूँ


मैं जननी हूँ,श्रष्टि का आरम्भ है मुझसे
मैं अलंकार हूँ,साहित्य सुसज्जित है मुझसे

मैं अलौकिक उपमा हूँ
मैं भक्ति हूँ,आराधना हूँ
मैं शाश्वत,सत्य और संवेदना हूँ

मैं निराकार हूँ,जीवन का आकार है मुझसे
मैं प्राण हूँ,सृजन का आधार है मुझसे

मैं नीति की संज्ञा हूँ
मैं उन्मुक्त आकांक्षा हूँ
मैं मनोज्ञा मंदाकिनी मधुरिमा हूँ

मैं अनर्थ को अर्थ देती परिकल्पना हूँ
मैं असत्य अधर्म अन्धकार की आलोचना हूँ

मैं अनंत आकाश की अभिव्यक्ति हूँ
मैं सहनशील हूँ समर्थ हूँ,मैं शक्ति हूँ

मेरा कोई रूप नहीं दूसरा
मैं स्वयं का प्रतिबिम्ब हूँ
मेरा कोई अर्थ नही दूसरा
मैं शब्द मुक्त हूँ मैं पूर्ण हूँ
मैं नारी हूँ


-एकता नाहर 

5 Response to "मैं नारी हूँ"

  1. M VERMA says:
    November 29, 2010 at 2:56 PM

    सुन्दर शब्द चयन और भाव सम्प्रेषण

  2. नया सवेरा says:
    November 30, 2010 at 12:05 AM

    ... prasanshaneey rachanaa !!!

  3. Md Jafar khan says:
    November 30, 2010 at 5:31 AM

    ati uttam rachna ,,,nari ke sampurn bakhaan..sondarya or sakti ka smavesh ,,aji ati uttam

  4. rajeev matwala says:
    November 30, 2010 at 10:02 AM

    रिश्तों की इस वैशाखी में पग-पग पर श्रीधा से याद करना इबादत का दूसरा नाम बन जाए|नारी को बड़ी शिद्दर से एकता ने याद किया है| सुन्दर शब्द चयन से भावों की विशाल दिवार खड़ी कर दी है और मजबूती के साथ....

  5. ana says:
    June 19, 2011 at 10:32 AM

    bahut badhiya ...isi shirshak par maine bhi kavita likhi hai ....visit my blog

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...