निखरे हैं रंग सभी मेंहदी के फिज़ाओं में
ये ईद की खुशबू है फैली आज इन हवाओं में
कल रात जब चाँद उतरा मेरे आँगन में
सारे जहां के लिए ख़ुशी मैंने माँग ली दुआओं में
-एकता नाहर
बैर और अलगाव से ऊपर रहे हर भावना
नफ़रतो का आपस में न रहे नामोनिशां
ज़र्रा ज़र्रा महक उठे ख़ुशियों से मेरे मुल्क का
यहीं ईद का पयाम है,है यही मेरी कामना
-एकता नाहर
ईद मुबारक
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