My sketchings

शायरी


राहो मे खोने से किसको भला डर है

साथ मेरे चल रहा जब मेरा हमसफ़र है

मन्जिलो से बेपरवाह मुसाफ़िर है हम

हमको तो मुताक्बिक* हमारे ये सफ़र है


-एकता नाहर

मुताक्बिक-comfortable,suitable

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