तेरे प्यार मे कही हर गज़ल पर जमाना रुस्वाइयां देता था
तेरे जाने के बाद ये मन्जर है कि खामोशी भी सबको शायरी सी लगती है
तेरे जाने के बाद ये मन्जर है कि खामोशी भी सबको शायरी सी लगती है
- एकता नाहर
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गजल
तन्हा नहीं कटते ज़िन्दगी के रास्ते,
हमसफ़र किसी को तो बनाना चाहिए था !!
शब् के अँधेरे गहरे थे बहुत,
मेरे लिए रौशनी किसी को तो जलाना चाहिए था !!
रोते हुए दिल की बात वो समझ ना सके,
शायद आँखों को भी आँसू गिराना चाहिए था !!
यूँ ही ऐतवार कर बेठे एक अजनबी पर हम,
एक बार तो उस शख्स को आजमाना चाहिए था !!
- एकता नाहर
दुआ..
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